Advertisement

दो विधेयक हुए पास, अब महिलाओं को क्षैतिज आरक्षण और धर्मांतरण पर रोक बना कानून

देहरादून -उत्तराखंड (30 नवंबर 2022 )

उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दूसरे दिन महिला क्षैतिज आरक्षण और धर्मांतरण विरोधी विधेयक सदन में पास किए गए। अब ये दोनों ही कानून बन गए हैं। अब जल्द ही इन्हें लागू करने के लिए अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। सदन में आज छह नए विधेयक रखे गए थे। वहीं पहले दिन सदन के पटल पर दस विधेयक आए थे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “उत्तराखंड देवभमि है, यहां पर धर्मांतरण जैसी चीजें बहुत घातक है, इसलिए सरकार इस पर रोक के लिए कठोर कानून लेकर आई है। इस कानून को पूरी दृढ़ता से प्रदेश में लागू किया जाएगा। इसी तरह उत्तराखंड राज्य निर्माण में मातृशक्ति का बड़ा योगदान रहा है, सरकार ने यह पहले ही तय किया था कि विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले इस प्रदेश में मातृशक्ति का सम्मान करते हुए उन्हें इस क्षैतिज आरक्षण का लाभ दिया जाएगा।”

शीत सत्र के दूसरे दिन शाम सात बजे से सदन में विधेयकों को पारित किए जाने के दौरान विपक्ष की तरफ से नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य सहित कुल छह विधायक ही मौजूद रहे। सबसे पहले विनियोग विधेयक को मंजूरी दी गई, इस दौरान सत्ता पक्ष के विधायकों ने मेज थपथपाकर स्वागत किया।

बहस के पास पारित कर दिया गया। सबसे अंत में महिला आरक्षण विधेयक पास किया गया। उत्तराखंड में स्थानीय महिलाओं को सरकारी नौकरियों में आरक्षण जुलाई, 2001 से मिल रहा था। नित्यानंद स्वामी सरकार ने 20 फीसदी क्षैतिज आरक्षण शुरू किया था।

जुलाई 2006 में एनडी तिवारी सरकार ने इसे 30 फीसदी कर दिया। तब से एक जीओ के आधार पर महिलाओं को नौकरी में आरक्षण मिल रहा था। इस बीच प्रदेश से बाहर की कुछ अभ्यर्थियों ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी तो कोर्ट से महिला आरक्षण पर रोक लग गई थी। अब कानून बन जाने के बाद इस आदेश को चुनौती देना मुश्किल होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *