
नोएडा,उत्तर प्रदेश (12 सितंबर 2022 )
मां, मेरा क्या कसूर था जो जन्म लेते ही मैं अनाथ हो गया। रात के अंधेरे में मुझे अनजान घर की छत पर छोड़ दिया। जानता हूं कि तुम्हारी भी कुछ मजबूरियां रही होंगी, लेकिन जानती हो मां, पूरी रात मैं तड़पता रहा। चींटियों ने मेरे शरीर को काट-काटकर छलनी कर दिया। डॉक्टर कहते हैं कि मेरे पूरे शरीर में संक्रमण फैल गया है। वो मेरी जान बचाने की कोशिश में दिन-रात जुटे हुए हैं।ऐसी ही कुछ दांस्ता हें एक मासूम की
यह मार्मिक कहानी एक नवजात की है। चकाचौंध से भरी राजधानी से सटे नोएडा के सेक्टर-49 के बरौला गांव में गुरुवार को आधी रात किसी ने थैले में भरकर उसे एक मकान की छत पर छोड़ दिया। रोने की आवाज आई तो वहां रहने वाली रूबी बानो ने उसे सबसे पहले देखा। रूबी ने बीती शनिवार को बताया कि बिजली चली जाने के कारण वह रात करीब करीब एक बजे छत पर सोने गई थी। अचानक उन्हें बच्चे के रोने की आवाज सुनाई पड़ी। उस वक्त ढाई या तीन बज रहे होंगे। उन्हें लगा कि शायद उनका डेढ़ साल का बच्चा रो रहा है। लेकिन, गौर से देखा तो उनके मकान से लगी छत पर सफेद थैले में नवजात बिलखता मिला। उसकी नाक, कान, मुंह समेत पूरे शरीर को चींटियां काट रही थी। खून से लथपथ नवजात को देख उसने शोर मचाया तो आसपास मकान में रह रहे लोग भी आ गए। वह नवजात को उठाकर नीचे ले आई। घाव साफ किए और भूख शांत करने के लिए स्तनपान कराया। रात तीन बजे से शुक्रवार सुबह 930 बजे तक नवजात शिशु रूबी बानो से ही लिपटा रहा। शुक्रवार सुबह सूचना पर पहुंची पुलिस और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के सदस्यों ने उसे सेक्टर-30 के बाल चिकित्सालय में भर्ती कराया।
रुला देती हैं अपनों की अनदेखी से अनाथ दो मासूमों की दास्तां
ये दो कहानियां जरूर हैं लेकिन फलसफा एक ही है। दोनों अपनों की अनदेखी से मानो अनाथ हो गए। नोएडा में मासूम का जिस्म चीटियां छलनी करती रहीं और कानपुर की नन्ही परी एक रिपोर्ट के इंतजार में दो साल तक आंसू बहा रही है। इंसानी समाज में दो अबोध जिंदगियों के लिए ऐसे हालात बनना किसी त्रासदी से कम नहीं।
अस्पताल में नरसो ने दिया मां का प्यार
जन्म के बाद बेहद कमजोर इस बच्ची को एनआईसीयू वार्ड की नर्सों ने अपनाया। स्टाफ ने उसे परी नाम दिया। 42 दिन में परी स्वस्थ हो गई तो उसे बाल कल्याण समिति को सौंपा गया। उस वक्त शायद ही कोई नर्स हो, जिसकी आंखें नहीं बरसीं। परी लखनऊ के शिशुगृह भेज दी गई। बच्ची के नाना सुरेश ने कहा- कानूनी अड़चन न होती तो हम बेटी की निशानी खुद पाल लेते। सीएमएस डॉ. शक्ति बसू ने कहा- पिता की जिद पर डीएनए जांच कराई गई। रिपोर्ट अभी तक नहीं आ सकी।
रूबी ने जताई गोद लेने की इच्छा
शिशु को सबसे पहले देखने और स्तनपान कराने वाली महिला रूबी ने बताया कि उन्हें शिशु से लगाव हो गया है। वह नवजात को गोद लेना चाहती हैं। उन्होंने सीडब्ल्यूसी और पुलिस से गुहार भी लगाई। हालांकि, नियम कायदे के चलते टीम ने उन्हें शिशु देने से फिलहाल इनकार कर दिया है। रूबी के पति मोहम्मद हुसैन फर्नीचर का काम करते हैं,साभार

इस्लाम हुसैन
संपादक – कुमाऊँ मिडडे
प्रधान कार्यालय – हुसैन मंजिल, निकट लकडी मंडी चोहरा- जसपुर (उधम सिंह नगर) उत्तराखंड, पिन- 244712
संपर्क – 8279368237, 9412036910
ईमेल – kumaonmidday@gmail.com
Leave a Reply