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नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने विधानसभा में उठाया बिंदुखत्ता के राजस्व गांव का मामला

देहरादून।प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने बिंदुखत्ता के राजस्व गांव का मामला विधानसभा में उठाते हुए सरकार पर सवाल उठाए। इस दौरान उन्होंने कहा कि बिंदुखत्ता के राजस्व गांव के सामूहिक दावों को जिला स्तरीय कमेटी द्वारा स्वीकृत करने के बाद भी आज तक राजस्व गांव नहीं बन पाया।

उन्होंने कहा कि बिंदुखत्ता में लोग पिछले दो सौ साल से निवास कर रहे हैं। 93 वर्ष पूर्व यानि 1932 से यहां को लोगो को जानवरों की चराई निशुल्क की गई थी। 19 जून 2024 को वन अधिकार अधिनियम 2006 के अनुसार जिला स्तरीय कमेटी द्वारा बिंदुखत्ता के राजस्व गांव की मांग को स्वीकृति प्रदान करने के बाद भी आज तक बिंदुखत्ता को राजस्व गांव का दर्जा क्यों नहीं दिया जा रहा है। 28 प्राइमरी स्कूल, 20 सहकारी माध्यमिक विद्यालय, 8 निजी विद्यालय, 7 हाईस्कूल, 55 आंगनबाड़ी विद्यालय है। यहां पर 95 प्रतिशत पक्के मकान बन गए है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्वर्गीय एनडी तिवारी की प्रथम निर्वाचित सरकार ने 1980 के तहत राजस्व गांव का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था। किंतु उस समय प्रक्रिया लंबी होने के कारण यह संभव नहीं हो पाया। उन्होंने गौलापार के बागजाला के राजस्व गांव का मामला भी विधानसभा में उठाया।

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